मा थारी आंख्यां
सूरज चांद म्हारा
दिन‘र रात
चैखट तोड़
मुगत हुसी चित्र
अेक दिन तो
अकास सुण
जै हूं नीं तो कांईं
थारो वुजूद
मा थारी आंख्यां
सूरज चांद म्हारा
दिन‘र रात
चैखट तोड़
मुगत हुसी चित्र
अेक दिन तो
अकास सुण
जै हूं नीं तो कांईं
थारो वुजूद