आओ
टकराएँ,
पूरी ताक़त से टकराएँ,
आखर
लोहे का आकार
हिलेगा,
बंद सिंह-द्वार
खुलेगा !
मुक्ति मशालें थामे
जन-जन गुज़रेंगे,
कोने-कोने में
अपना जीवन-धन खोजेंगे !
नवयुग का तूर्य बजेगा,
प्राची में सूर्य उगेगा !
आओ
टकराएँ,
मिल कर टकराएँ,
जीवन सँवरेगा,
हर वंचित-पीड़ित सँभलेगा !