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गढ़कन्या / लोकेश नवानी

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मी गढ़कन्या गंगा की दग्ड़्या यूं डांड्यूं की राणी।।
हेर सरग तैं भ्यटणौं उड़दा स्वां-स्वां मेरी चदरी।
डब-डब डब-डब पंदेर गदन मा नहेंद मेरी गगरी।
छुण-छुण छुणक्यांळि दाथि बथौं मां अफ्वी-अफ्वी गुमणाणी। मी .....
मेरी जणी पछ्यणकुल छींना मेरी गारी ढुंग्गी।
वा बी मेरी खास सौंजड़्या गंगा की भुलि गंगी।
स्ये-उठ कैई फजल ल्हेकि जो म्यारू मुक्क धुवांणी। मी ...
था दींदा मी अफ्वी य धरती यी चा मेरू घार।
केदारा का चैक बटेकी बदरी तैं की सार।
हेरा सिनै सरग से डांडी छन क्या चीज लिमाणी।
मी गढ़कन्या गंगा की दग्ड़्या यूं डांड्यूं की राणी।।
दुबलू कुणजू क्याळा आम अर पैंया की डाळी ।
जैका ठौ मा चड़ण खुणे की फूल अफ्वी गैं फूली ।
गुणमुण घांडी माद्यो मा स्तोत्तर जैका गाणी। मी ....
नचणी सी छन खुश ह्वेकि जन सर-सर ससरट कैरी
पिंगळा फूल कना मौळ्यां छन लय्या ग्यूं की सारी।
चखुली पोतळी बैठ गिंवड़ मां कैका दगड़ बच्याणी।। मी .

यीं धरती से प्यार च मीकैं मीकू चा या मंदिर।
यीं माटी की पिठैं लगौंलू हूंलू यींकु निछावर।
यीं माटी मा सजगेनी स्वीणा पैजिन कतनै गाणी। मी ....
यूं डांड्यूं की भौंण सदान मेरा मन मा गजदा।
सजेकि डांड्यू धुएकि गदन्यूं बणकै गीत निकळदा।
दुनिया स्वाणु बतांदी जै तैं गीत बड़ै का गाणी। मी ....