अन्हरिया रात में
अकेले चलइत
डर, बहुत डर
लग रहल हे हमरा...
जेब इया जान लगि नइँ,
बलिक
ई छोट-मुट अँगूठी लगि।
ई चोरगली में
आज कोय छीन नइँ ले
हमरा से...
पुनियाँ के चाननी में रँगल,
केकरो नेह के निसानी!
अन्हरिया रात में
अकेले चलइत
डर, बहुत डर
लग रहल हे हमरा...
जेब इया जान लगि नइँ,
बलिक
ई छोट-मुट अँगूठी लगि।
ई चोरगली में
आज कोय छीन नइँ ले
हमरा से...
पुनियाँ के चाननी में रँगल,
केकरो नेह के निसानी!