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चान हँसे / अरुण हरलीवाल

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चान हँसे, रे! चान हँसे, रे!
आसिन के पुनिया के चान हँसे, रे!

चान लगे आज, सचे, अमरित के कलसा हे;
जने उठे नजर, तने जनगन के जलसा हे।
ढोल बजे, रे! ढोल बजे, रे!
डम-डम-डम, डिमक-डिमक ढोल बजे, रे!

आसा के एलबम हे, मेहनत के परचम हे;
खेत-खेत, कंठ-कंँठ सिरजन के सरगम हे।
गीत झरे, रे! गीत झरे, रे!
गाँव-गाँव, ठाँव-ठाँव गीत झरे, रे!

मउसम के मस्ती में झूम रहल बस्ती हे;
मस्ती के दरिया में जिनगी के कस्ती हे।
रास रचे, रे! रास रचे, रे!
गगन मगन धरती सँग रास रचे, रे!