Last modified on 22 जुलाई 2008, at 02:27

वरदान / महेन्द्र भटनागर

Pratishtha (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 02:27, 22 जुलाई 2008 का अवतरण (New page: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=महेन्द्र भटनागर |संग्रह=राग-संवेदन / महेन्द्र भटनागर }}...)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)

याद आता है
तुम्हारा प्यार!
तुमने ही दिया था
एक दिन
मुझको
रुपहले रूप का संसार!
सज गये थे
द्वार-द्वार सुदर्श
बन्दनवार!
याद आता है
तुम्हारा प्यार!
प्राणप्रद उपहार!