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दृष्टि / महेन्द्र भटनागर

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जीवन के कठिन संघर्ष में

हारो हुओ!
हर क़दम
दुर्भाग्य के मारो हुओ!
असहाय बन
रोओ नहीं,
गहरा ऍंधेरा है,
चेतना खोओ नहीं!
पराजय को
विजय की सूचिका समझो,
ऍंधेरे को
सूरज के उदय की भूमिका समझो!
विश्वास का यह बाँध
फूटे नहीं!
नये युग का सपन यह
टूटे नहीं!
भावना की डोर यह
छूटे नहीं!