आदमी वो भला नहीं होता
जिस को ख़ौफ़े-ख़ुदा नहीं होता
नहीं होता है मोतबर वो प्यार
जिस में रंगे-वफ़ा नहीं होता
याद करता हूँ उस की रहमत को
जब कोई आसरा नही होता
बात करने को दिल तो करता है
हां मगर हौसला नहीं होता
ये तो हालात की है मजबूरी
वरना कोई बुरा नहीं होता
इश्क़ की बार-गाह में 'अंजुम'
कुछ ज़बां से अदा नहीं होता।