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धर्म / महेन्द्र भटनागर

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प्यार करना

ज़िन्दगी से: जगत से
आदमी का धर्म है !

प्यार करना
मानवों से
मूक पशुओं पक्षियों जल-जन्तुओं से
वन-लताओं से
द्रुमों से
आदमी का धर्म है !

प्यार करना
कलियों और फूलों से
विविध रंगों-सजी-सँवरी
तितलियों से
आदमी का धर्म है !

प्यार करना
इन्द्रजालों से रचे
अद्भुत
विशृंखल-सूत्र
सपनों से,
मधुरतम कल्पनाओं में
गमन करती
सुकोमल-प्राण परियों से
आदमी का धर्म है !