Last modified on 20 अगस्त 2018, at 18:00

दिल के अरमान जब मचलते हैं / ईश्वरदत्त अंजुम

Abhishek Amber (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 18:00, 20 अगस्त 2018 का अवतरण

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)

 
दिल के अरमान जब मचलते हैं
हसरतों के भी पल निकलते हैं

टूटे दिल भी कहीं बहलते हैं
वो तो बस आंसुओं में ढलते हैं

ठेस लगती है उस घड़ी दिल को
लोग जब रास्ते बदलते हैं

है वही कामयाब दुनिया में
वक़्त के साथ जो बदलते हैं

मौसमे-बरशगाल हो जैसे
अश्क़ आंखों से यूँ निकलते हैं

जब ज़मीं पर क़ियाम है सब का
लोग क्यों कितना फिर उछलते हैं

जब भी होता है सामना उनका
जिस्मो-जां एक साथ जलते हैं

अज़्म उकता अगर वो ऐ अंजुम
रास्ते खुद ब-खुद निकलते हैं।