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विधायक होइगा / अशोक 'अग्यानी'

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जन गण मन अधिनायक होइगा
गुण्डा रहै, विधायक होइगा

पढ़े–लिखे करमन का र्‌वावैं
बिना पढ़ा सब लायक होइगा

जीवन भर अपराध किहिस जो
राम नाम गुण गायक होइगा

कुरसी केरि हनक मिलतै खन
कूकुर सेरु एकाएक होइगा

गवा गाँव ते जीति के, लेकिन
सहरन का परिचायक होइगा

वादा कइके गा जनता ते
च्वारन क्यार सहायक होइगा

जेहि पर रहै भरोसा सबका
‘अग्यानी’ दुखदायक होइगा