Last modified on 6 सितम्बर 2018, at 17:16

बोनसाई / भारतरत्न भार्गव

अनिल जनविजय (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 17:16, 6 सितम्बर 2018 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=भारतरत्न भार्गव |अनुवादक= |संग्रह...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)

स्वच्छन्द गर्वोन्नत क़द्दावर पेड़ों की सन्तानें
किस प्रलोभन से
सुसज्जित कक्षों की शोभा बढ़ातीं
किसका अहम् करते हैं तुष्ट
ये बोनसाई

अपनी शाखों पत्तियों जड़ों को
काट दिए जाने पर
क़ैद हो जाती छोटे से प्याले में
क़द्दावर पेड़ों की आधुनिक सन्तानें

मरती नहीं कभी भी
सीख रही हैं
हाथ - पाँव - मुण्ड काट दिए जाने पर भी
जीवित रहने की कला
ये बोनसाई सन्तानें !