गंगा स्नानक बाद छाती भरि पानिमे सुरुजकें अर्ध्य दैत किछु बुदबुदाइत फेर गंगा कातमे बारैत अगरबत्ती चढ़ाबैत बतस्सा करैत छथि कोनो कबुला हमर बाबी।