Last modified on 30 सितम्बर 2018, at 14:31

डाळी बोटि / सुरेश स्नेही

Abhishek Amber (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 14:31, 30 सितम्बर 2018 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=सुरेश स्नेही |अनुवादक= |संग्रह= }} {{K...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)

 अरे मनखि निउकटौ यिं धरति कि डाळि,
यूूं से तेरू जीवन चा यूं से हरियाळि,
उकटिगिन सब्बिधाणि, जु देखि छै ब्याळी,
तिनबि निरौण भोळ यु याद रख्याळि,
अरे मनखि निउकटौ यिं धरति कि डाळि।

न काट न सुखौ युंकु जड़ड़्युं कु पाणि ,
यु परबि पराण च यूॅकि बिछन गाणि,
अपडि छ्वीं बात्त यून कैमा लगौण,
खैरि बिपदा अपडि यून कैतैं सुणाण,
तिनि सुण तिनि जाण्ण युॅतैं बिजाळी,
अरे मनखि निउकटौ यिं धरति कि डाळि।

घासपात लाखड़ु पाणि यूॅसे ही मिल़्दु त्वे,
काट देळि जब सबुतैं, त फेर कखन ळैळुरे,
गोरू भैंसा,गौड़ि बाच्छि,
फेर कखन पाळदु रे,
जरा ध्यान दिदुॅ यीं तरफ तेरि सब्बि धाणि रै जाळि,
अरे मनखि निउकटौ यिं धरति कि डाळि।

डाळि लगौ जंगळु बच्चौ, पुण्याकु काम कर,
पीड़ि पिस्तान्यतकैं अपड़ूबि नाम कर,
 तेरि लगैईं डाल़्युॅ देखि, भोळ तेरि याद आळि,
काटदि रैळु जु डाल़्यु तैंत भोळ फेर गाळि खाळि,
किळेै कनि काम इना तु, जान जिकुड़ि झुराळि,
अरे मनखि निउकटौ यिं धरति कि डाळि।

सुणा दिदौं सुणा भूळौं, तुम औरू मां बि सुणैद्यान,
जथग्या जादा हो तुम गौ-गौळौं मा डाळाळान,
 छोट्टा बड़ा दाना स्याणों मा मेरू युरैबार पौछैंद्यान,
  कसम खवा, अब्बि बटि तुम डाल्युॅ तैं अब काटेण ना द्यान,
  सुणिक मेरी छुयुॅ अब अणसूणि न करयान ,
 घौर बोण भैर भितर, यू देखदि रयान।

बचीं रैळि जु डाळि बोटि त, तबि गोरू चराळि,
अरे मनखि निउकटौ यिं धरति कि डाळि।,
यूूं से तेरू जीवन चा यूं से हरियाळि।