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प्यार में दर्द ही मिलता है तो ऐसा ही सही / शैलेश ज़ैदी

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प्यार में दर्द ही मिलता है तो ऐसा ही सही।
धैर्य की मेरे परीक्षा है तो ऐसा ही सही॥

जो मिला प्यार से हमने उसे अपना समझा।
अब अगर प्यार भी धोख है तो ऐसा ही सही॥

तोड़ना स्नेह के संबंध सहारा देकर।
तुम समझते हो के अच्छा है तो ऐसा ही सही॥

हम सुनायेंगे बड़े शौक़ से पीड़ा अपनी।
आज जब आपने छेड़ा है तो ऐसा ही सही॥

शब्द आयेंगे न होठों पे शिकायत के कभी।
दुख ही तक़दीर का हिस्सा है तो ऐसा ही सही॥

कट गया कितने ही संघर्षों में जीवन अपना।
जिन्दगी की यही मंशा है तो ऐसा ही सही॥