Last modified on 22 अक्टूबर 2018, at 14:30

मोदी / विष्णु नागर

अनिल जनविजय (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 14:30, 22 अक्टूबर 2018 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=विष्णु नागर |अनुवादक= |संग्रह= }} {{KKCat...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)

मोदी के घर में उसके कई सेवक हैं
उसका वहाँ कोई भाई, कोई बहन नहीं
उसके आँगन में खेलता कोई बच्चा नहीं
उसके अनुयायी लाखों में है
उसका कहने को भी कोई मित्र नहीं
वह जब आधी रात को चीख़ पड़ता है भय से काँप कर

उसे हिलाकर, जगाकर
‘क्या हुआ’, यह पूछने वाला कोई नहीं
‘कुछ नहीं हुआ’ यह उत्तर सुनने वाला कोई नहीं
ऐसा भी कोई नहीं जिसकी चिन्ता में
वह रात-रात भर जागे
ऐसा कोई नहीं
जिसकी मौत उसे दहला सके

किसी दिन उसे उलटी आ जाए
तो उसकी पीठ सहलाने वाला कोई नहीं
आधी-आधी रात जागकर
उसके दुख सुन सके, उसके सुख साझा कर सके
ऐसा कोई नहीं
कोई नहीं जो कह सके आज तो तुम्हें
कोई फ़िल्मी गाना सुनाना ही पड़ेगा
उसकी एक माँ ज़रूर हैं
जो उसे आशीर्वाद देते हुए फ़ोटो खिंचवाने के काम
जब तब आती रहती हैं

यूँ तो पूरा गुजरात उसका है
मगर उसके घर पर उसका इन्तज़ार करने वाला कोई नहीं
उसे प्रधानमन्त्री बनाने वाले तो बहुत हैं
उसको इनसान बना सके, ऐसा कोई नहीं।