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प्यार / रजनी तिलक

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सोचा था
प्यार की दुनिया
बड़ी हसीन होगी
’उसके’ साथ ज़िन्दगी
रंगीन होगी
पाया एक अनुभव
प्यार एक पदार्थ
थकावट भरी नींद

विवाह की कल्पना थी
मृदुल शान्त
प्यार की छत
अहसासों की दीवारें
परन्तु वह निकली
एक रसोई और बिस्तर
और आकाओं का हुक़्म