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निष्ठा / सुरेन्द्र स्निग्ध

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हम कहते थे न रमेशवा है विद्वान !
अपवाद सभी जगह होता है --
हिन्दी का प्रोफ़ेसर है -- हिन्दी का ही
लेकिन आज दिया है अँग्रेज़ी के पक्ष में बयान !
मुख्यमंत्री जी ने
हिन्दी संवर्द्धन अकादमी का वैसे ही नहीं बना दिया है
चैयरमैन !
साले और जो चैयरमैन हैं -- वो सबके सब हैं ’चोरमैन
देखिए न, रमेशवा है रजपूत,
लेकिन लिख दिया न बैकवर्ड मुख्यमंत्री पर किताब !
किसी बेकवर्ड ने लिखी है इतनी अच्छी किताब !
किसी पद के लोभ में नहीं किया है काम
यह निष्ठा की बात है, निष्ठा की बात !
-- हम उसको और बड़ा पोस्ट देंगे --
और बड़ा पोस्ट !
-- लेकिन का ता हो --
थोड़ा मौज में आते नेता जी
-- साले का अण्डकोष बहुत बड़ा है
कैसे दौड़ पाएगा और बड़ी कुर्सी तक !
रहने देते हैं उसी संवर्द्धन अकादमी में
कम से कम ऊँची शिक्षा की तमाम किताबों का
करवा तो देगा अँग्रेज़ी अनुवाद !
-- आप सभी प्रोफ़ेसर
जाकर उनको दे दीजिएगा साधुवाद !