वो
जो इक
छोटी सी बच्ची है
जिसकी निगाहें
मेरी आत्मा के
हरे चिकने पात पर
गिरती रहती हैं अनवरत
बूंदों की तरह
वो ही
मेरी छोटी सी बच्ची
अपनी सितारों सी टिमकती आंखें
मेरी आंखों में डाल
मचलती सी बोलती है
कितने अच्छे हो आप
मैं
और अच्छा ?
(मेरी तोते सी लाल नाक पकड़
हिलाता.....)
अच्छे की बच्ची
कुछ बड़ी हो जा
तो तू उससे भी अच्छी हो जावेगी
और ...और सच्ची
और ...और नेक
ला दे अपना हाथ
क्या
आज नही करेगी
हैंडशेक...
(ये मेरे काबुली वाले के लिए,कि जिसका वादा है एक रोज़ आने का.....)