Last modified on 20 जनवरी 2019, at 22:09

बेवजह दिल पे कोई /उर्मिलेश

Dr. ashok shukla (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 22:09, 20 जनवरी 2019 का अवतरण

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)

बेवजह दिल पे कोई बोझ न भारी रखिये
ज़िन्दगी जंग है इस जंग को जारी रखिये

अब कलम से न लिखा जाएगा इस दौर का हाल
अब तो हाथों में कोई तेज कटारी रखिये

कितने दिन ज़िन्दा रहे इसको न गिनिये साहिब
किस तरह ज़िन्दा रहे इसकी शुमारी रखिये

उसकी पूजा कहीं ईश्वर को न कर दे बदनाम
अब तो मंदिर में कोई और पुजारी रखिये

आपको आपसे बढ कर जो बताएं हरदम
ऐसे लोगों से ज़रा दूर की यारी रखिये

ज़िन्दगी भर के लिए हम न कहेंगे तुमसे
आज,बस आज ज़रा बात हमारी रखिये
.