Last modified on 25 जनवरी 2019, at 10:56

आते-जाते डर लगता है / हस्तीमल 'हस्ती'

द्विजेन्द्र द्विज (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 10:56, 25 जनवरी 2019 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=हस्तीमल 'हस्ती' |संग्रह=प्यार का...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)

आते-जाते डर लगता है
ये राजा का दर लगता है

धरती के इन भगवानों से
ईश्वर को भी डर लगता है

अपनी चौखट को ऊँचा कर
हम बौनों का सर लगता है

दर्द पराये का छलके तो
आँसू भी गौहर लगता है

तेरा आना जब होता है
मेरा घर तब घर लगता है