ज़मीन जिससे छुट गई
बाब ज़िन्दगी का जिस पे बन्द है
वो जानता है यह कि वह सवारे-बेसमंद है
मगर वो क्या करे,
कि उसको आसमाँ को जाने वाला रास्ता पसन्द है।
शब्दार्थ :
सवारे-बेसमंद=बिना घोड़े का सवार; बाब=दरवाज़ा
ज़मीन जिससे छुट गई
बाब ज़िन्दगी का जिस पे बन्द है
वो जानता है यह कि वह सवारे-बेसमंद है
मगर वो क्या करे,
कि उसको आसमाँ को जाने वाला रास्ता पसन्द है।
शब्दार्थ :
सवारे-बेसमंद=बिना घोड़े का सवार; बाब=दरवाज़ा