झड़ जाते हैं एक एक कर पत्ते, एक एक कर फूल
कुछ ठंड, तो कुछ गर्म मौसम में जिसमें जो अनुकूल
एक समान खिलते और सदृश ही वे झड़ जाते हैं
पृथ्वी जिससे पोषित होते, फिर सब किये ग्रहण जाते हैं
हम, जो उसके श्रेष्ठतर हैं पूत
हमें क्यों होना कम संतुष्ट
जाने पर गोद में उसकी
इति होती है जब जीवन की