Last modified on 17 फ़रवरी 2019, at 18:46

अधूरी रचना / संजय शाण्डिल्य

अनिल जनविजय (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 18:46, 17 फ़रवरी 2019 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=संजय शाण्डिल्य |अनुवादक= |संग्रह= }...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)

गर्भस्थ शिशु
सूखता हुआ
अपनी ही देह में

लौटता हुआ
अपने प्रारम्भ की ओर

बिलाता हुआ
बिलबिलाता हुआ
अपनी आत्मा के अनन्त में ...!