Last modified on 20 फ़रवरी 2019, at 19:43

नबका बरीख / एस. मनोज

Rahul Shivay (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 19:43, 20 फ़रवरी 2019 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=एस. मनोज |अनुवादक= |संग्रह= }} {{KKCatMaithiliRac...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)

बनबू नबका बरीखकें शुभे हो शुभे
सबहक आशा शुभे अभिलाषा शुभे
बनबू.....
खेती पथारी नहि जीवन चलाबै
कृषक सभ खेतमे नोर चुआबै
झूलै न फसरी, होय जीवन शुभे
बनबू....
रोजी आ रोटी ल' गाम छोड़ै छै
बाल बच्चा बाप बिनु बिलटैत रहै छै
नवतुरिया ल' बनबू योजना शुभे
बनबू....
आय धरि जे किछु पयबे नहि कयलकै
श्रमशक्ति सँ जगकें सुन्नर बनैलकै
ओ श्रमिक लेल बनबू आब दुनिया शुभे
बनबू.....
शिक्षा आ रोजीक अवसर दियाबू
पिछड़ल जे अछि ओकरा आगू बढ़ाबू
दुखिया ल' बनबू सभ नियम शुभे
बनबू....