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जी चाहता है / मनीष कुमार झा

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कोई गीत गाने को जी चाहता है
गजल गुनगुनाने को जी चाहता है

गगन में चमकते करोड़ों सितारे
घड़ी भर टिमक कर छिपेंगे बिचारे
सितारों से रौशन जहाँ ढूँढने को
सितारों पर जाने को जी चाहता है

चली सरसराती हवा बाँह खोले
फिजाएँ मधुर मौसमी राग घोले
लुटाए कोई मस्तियाँ ज़िन्दगी की
वहीं जां लुटाने को जी चाहता है

कहीं कोई आशा रहे ना अधूरी
मिले दिल से दिल, ना रहे कोई दूरी
हर इक आदमी प्यार का देवता हो
वो जन्नत बसाने को जी चाहता है