माँ तुझको आज मनाना है।
लिखना तो मात्र बहाना है॥
चरणों में बार-बार माता
हमको निज शीश झुकाना है॥
पा कर माँ अनुकम्पा तेरी
कविता कानन महकाना है॥
माँ सरस्वती के चरणों में
भावों के सुमन चढ़ाना है॥
माँ वाणी की पा दया-दृष्टि
यह जीवन सफल बनाना है॥
तू ज्ञान राग रागिनियों का
ममता का मधुर तराना है॥
है हमने भी यह ठान लिया
अनुराग तुम्हारा पाना है॥