कोई तो करे
बात मिठियाई
दम्भ के खम्भ पर
अकड़े खड़े
दर्प के कड़े
कलाइयों में पड़े
प्यार की देते दुहाई
तंत्र षड्यंत्र के
गढ़ रहे मन्त्र
भूत प्रेत बाधा के
बांध रहे जंत्र
करते रहे उमरभर
ठगियाई
बाँट रहे माचिसें
गाँव गॉँव शहर
दहकायेंगे आपकी
ठंडी दुपहर
अमन की
करते अगुवाई
मोहक वसंत राग
गायेंगे काग
वासुरी बजाएँगे
मणिधारी नाग
भोली कोयलिया खिसियायी