Last modified on 6 अगस्त 2008, at 08:45

आओ जलाएँ / महेन्द्र भटनागर

Pratishtha (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 08:45, 6 अगस्त 2008 का अवतरण (New page: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=महेन्द्र भटनागर |संग्रह=संकल्प / महेन्द्र भटनागर }}आओ ज...)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)

आओ जलाएँ

कलुष-कारनी कामनाएँ !


नये पूर्ण मानव बनें हम,

सकल-हीनता-मुक्त, अनुपम

आओ जगाएँ

भुवन-भाविनी भावनाएँ !


नहीं हो परस्पर विषमता,

फले व्यक्ति-स्वातंत्र्य-प्रियता

आओ मिटाएँ

दलन-दानवी-दासताएँ !


कठिन प्रति चरण हो न जीवन,

सदा हों न नभ पर प्रभंजन

आओ बहाएँ

अधम आसुरी आपदाएँ !