रोम छिद्रों के इर्द-गिर्द
चार-चार सुइयाँ चुभाना बारम्बार
दर्द सहना ओठों को भींच कर
क्योंकि आजी ने कहा था —
अभी रोना अशुभ है ।
सैकड़ों प्रहार के बाद भी
आँखों से आँसू न बहना
क्या वह
मरने के बाद साथ जाने का
आभूषण प्रेम था
या जीवनपर्यन्त
कष्ट सहते रहने की
पूर्व-पीठिका !