लिखते लिखते चुक जाऊंगा
गीत विरह के गीत मिलन के
मिलना आकर उसी द्वार पे
जिधर पड़े थे कोमल पग वे
जिधर धुली थीं साँसे तेरी
सुन बंजारन !
लिखते लिखते चुक जाऊंगा
गीत विरह के गीत मिलन के
मिलना आकर उसी द्वार पे
जिधर पड़े थे कोमल पग वे
जिधर धुली थीं साँसे तेरी
सुन बंजारन !