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सीढ़ी / लीलाधर जगूड़ी

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मैं हर सीढ़ी पर हाँफ़ रहा था

मुश्किल से चढ़ पा रहा था

बावजूद इस सब के यह आख़िरी सीढ़ी थी


यह सीढ़ी वह पेड़ तो नहीं थी

जिस पर कभी मैं किशोर चढ़ता था आकाश में

डाँट पड़ती थी तो खिसक कर

उतर आता था ज़मीन पर

गिर कर हाथ—पाँव तुड़वाने के मुकाबले

एक बार पेड़ से नहीं पिटाई से घायल हुआ था मैं

मेरी पौत्री अनन्या कह रही है

आप बहुत अच्छे दादा हैं

आपने सारी सीढ़ियाँ चढ़ ली हैं


मैं उसे समझाना चाहता हूँ

कोई भी सीढ़ी अंतिम नहीं होती

ऊँचाई में चढ़ रहें हो तब तो और भी नहीं

कुछ लोग ऊँचाई पा लेने के बाद सीढ़ियाँ हटा देते हैं

ताकि लोग इस भ्रम में रहें कि वे खुद यहाँ तक पहुँचे हैं

बहुत—सी सीढ़ियों में से बचपन जीवन की महत्वपूर्ण सीढ़ी है

तुम एक—एक कर सारी सीढ़ियों को याद रखना

अपनी बचपन की सीढ़ी सहित


मेरे बारे में ‘नाटक जारी है’ की वह पँक्ति भी याद रखना

जिसमें मैं कह पाया था कि ’रोज़ सीढ़ियाँ उतरता हूँ

मगर नरक ख़तम नहीं होता’.