Last modified on 3 जून 2019, at 10:54

हमारा दिल निकल जाये तो अच्छा / कुमार नयन

Abhishek Amber (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 10:54, 3 जून 2019 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=कुमार नयन |अनुवादक= |संग्रह=दयारे...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)

हमारा दिल निकल जाये तो अच्छा
महब्बत आज फल जाये तो अच्छा।

ज़रूरी है तुम्हारे सच का बचना
हमारा ख़्वाब जल जाये तो अच्छा।


बहुत मुश्किल है अब मेरा बदलना
ज़माना ही बदल जाये तो अच्छा।

यक़ीनन खून कर डालूंगा अपना
जुनूने-दिल बहल जाये तो अच्छा।

बहुत संगीन होगी सुब्ह लेकिन
ये नागिन रात ढल जाये तो अच्छा।

दिलों को जो बना देता है पत्थर
वो जादू मुझ पे चल जाये तो अच्छा।

अभी कुछ दिन बचे हैं ज़िन्दगी के
मिरा दिल तू सम्भल जाये तो अच्छा।