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स्वीकार लो / महेन्द्र भटनागर

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मेरी कामनाएँ
गगन के वक्ष पर झिलमिल
सितारों की तरह !

मेरी वासनाएँ
हिमालय से प्रवाहित
वेगगा भागीरथी की
शुभ्र धारों की तरह !

मेरी भावनाएँ
महकते-सौंधते
उत्फुल्ल पाटल से विनिर्मित
रूपधर सद्यस्क हारों की तरह !

तुम्हारी अर्चना आराधना में
समर्पित हैं।
अलौकिक शोभिनी !
रमनी सुनहरी दीपकलिका से
हृदय का कक्ष ज्योतित है !

इस जन्म में
स्वीकार लो
स्वीकार लो
मेरा अछूता प्यार लो !