Last modified on 12 अगस्त 2008, at 20:57

नई पहचान / स्नेहमयी चौधरी

अनिल जनविजय (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 20:57, 12 अगस्त 2008 का अवतरण (New page: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=स्नेहमयी चौधरी |संग्रह=हड़कंप / स्नेहमयी चौधरी }} जीवन ...)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)

जीवन के खेल में हारकर

उसने ताश के खेल में जीतना सीख लिया

अंदर से पूरी तरह टूटकर

उसने कागज़ पर चित्र रचना सीख लिया


एक केन्द्र पर हुई पराजय

दूसरे को पर विजय बन गई

अपनों से बिलगने की प्रक्रिया में

दूसरों से जुड़ना उसकी नई पहचान बन गई।