Last modified on 13 अगस्त 2008, at 01:18

लघु जीवन / महेन्द्र भटनागर

Pratishtha (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 01:18, 13 अगस्त 2008 का अवतरण (New page: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=महेन्द्र भटनागर |संग्रह=संतरण / महेन्द्र भटनागर }} फूलो...)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)

फूलों का संसार हमारा है !

उज्ज्वल हास लुटाते हैं

मधु मकरंद उड़ाते हैं
मारुत पेंग सुहाते हैं

झंकृत उर हर तार हमारा है !

ले लो हार बनाने को
भर लो माँग सजाने को
सूना गेह बसाने को

भोला-भोला प्यार हमारा है !

हमको देख लजाओ ना
छलना भाव जताओ ना
इतना हाय सताओ ना

दो पल का शृंगार हमारा है !
फूलों का संसार हमारा है !