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अच्छे दोस्त / विनोद विट्ठल

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चोर जब
पिता की जेब से चवन्नी भर पिता
माँ की रोटी से कौर भर माँ
भाई के हाथ से मुट्ठी भर भाई 
बहन के धागे से गाँठ भर बहन 
प्रेमिका के पर्स से झपकी भर प्रेमिका 
और 
पत्नी की सिन्दूरदानी से चुटकी भर पति चुरा 
अपने-अपने घरों में सुस्ता रहे होते हैं
तब इन सबको
ब्रह्मा चुरा 
कुछ प्राणियों में डाल देते हैं
चुराई चीज़ों से बने 
ये पारदर्शी लोग होते हैं 
अच्छे दोस्त ।

अच्छे दोस्त 
उपेक्षा और लापरवाही के बावजूद 
छातों और स्वेटरों की तरह 
बुरे मौसमों में साथ देते हैं

घास की तरह बिछे 
तमाम मौसमों से बेअसर ये लोग 
हमें हमारे हर अच्छे बुरे के साथ 
केवल हिचकियों में सताते हैं

रात गए जब सो चुकी होती है पत्नी 
किसी पुराने प्रेमी के साथ
या पिता उलट रहे होते हैं
या माँ मन में पिता से पहले जाने की कामना कर रही होती है 
या घर जब नौकरशाह चौकीदार की तरह सुस्ता रहा होता है 
तब
बहुत बेतकल्लुफ़ी से 
पीठ पर घूंसा मर 
हमें अपनी नीन्द से बेदखल कर 
पेशेवर अपहर्ताओं की तरह 
उठा ले जाते हैं 
अच्छे दोस्त

ईमानदार प्यार की तरह 
तर्कों से ऊपर 
बेईमान बच्चों की तरह 
पलँग के नीचे 
और तटस्थ दिनों की तरह 
कैलेण्डर पर छपकर 
ये हमेशा हमारे पास रहते हैं, बिना किराया दिए 
किरायेदारों की कमसिन और ख़ूबसूरत पत्नियों की तरह 
पहली ही नज़र में अच्छे लगकर

ये लोग
आपके इतिहास को नहीं पढ़ना चाहते 
आपके भूगोल से भी इन्हें कतई दिलचस्पी नहीं हैं 
ये तो आपको सिन्धु सभ्यता के सिक्के मान 
पुराविदों की तरह प्यार कहते हैं 
इनकी गणित हमेशा कमज़ोर होती है

ये कुशल फ़ोटोग्राफ़रों की तरह 
आपके चेहरे को हमेशा अच्छा पाते हैं
इनके सारे प्रयास होते हैं :
आपकी एक अदद मुस्कुराती फोटो

पुरानी प्रेमिकाएँ 
पहले प्यार के सँकोच भरे दिन
मनचाहे सपनों से सजी नीन्द 
इन सबको 
हर रोज़
डाकिये-सी निश्छलता के साथ दे जाते हैं 
अच्छे दोस्त ।