तोता राम
भरते हो सदा
मुक्त उड़ान
चिंताओं से कैसे
पा जाते त्राण
कैसा है तेरा देश
क्यों नहीं तुममें लेश राग-द्वेष
हो कितने अशक्त
स्वजनों का भी
नहीं बहा पाते रक्त।
तोता राम
भरते हो सदा
मुक्त उड़ान
चिंताओं से कैसे
पा जाते त्राण
कैसा है तेरा देश
क्यों नहीं तुममें लेश राग-द्वेष
हो कितने अशक्त
स्वजनों का भी
नहीं बहा पाते रक्त।