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जिजीविषा / कुमार मुकुल

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पिंजरे में बराबर
बाघ और बकरी

बेबस फांदते कंदील
करते आज्ञा स्‍वीकार

जिजीविषा मजबूर करती है
खाने को

उसे
बांधिए डोर
ले चलिए चाहे जिस ओर