Last modified on 16 अगस्त 2019, at 19:50

धरती वंदना / भगत साहू

सशुल्क योगदानकर्ता ५ (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 19:50, 16 अगस्त 2019 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=भगत साहू |अनुवादक= |संग्रह= }} {{KKCatChhattisg...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)

तोला पहिली सुमिरौ हो धरती मैया।
तोला पहिली सुमिरौ हो भारत भूइयां

जय हो धरती मैया, जय हो भारत भुइंया
जय हो सोन चिरैया, जय हो शीतल छईया।

तोर कोरा मा जनम धरीस हे, धन वो महात्मा गांधी
पराधीन सपना सुख नाही, कहिके चाईस आधी

तोर दया से धरती मैया पायेन हम आजादी
तोर कोरा म प्राण ला तेजीन, कटको शहीद कहाईन

अपन वतन के खातिर मैया लहू के तिलक लगाईन
वो आजाद अऊ भगतसिंग मन अमर नाम ला पाईन

तोर सेवा म तन मन लगाके अड़े हे बंदूक नागर
लहू पसीना एक बनाबो कभू थके नइ जांगर

जय जवान अउ जय किसान के नाम ला करबो उजागर
श्रद्धा के फूल भाव के आरती, घर के आयेन शरन म

मोंगरा मितान निशदिन तोरा, लगे हवे पूजन म
दे आशीष दे धरती मैया, भारत बड़े हे करम म ॥