Last modified on 26 अगस्त 2019, at 09:02

उड़ान / मानोशी

Manoshi Chatterjee (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 09:02, 26 अगस्त 2019 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=मानोशी |अनुवादक= |संग्रह= }} {{KKCatKavita}} <po...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)

उड़ान पाने से पहले
मेरा आसमान बहुत ऊँचा था,
उस पर सवारी करने के ख़्वाब
के नीच दब जाता मेरा संसार,
शाख़ से शाख़ चढ़ते हुए
कई बार पैर फिसला,
हाथ छिले, पड़ गई गाँठ बालों में,
सूख गया कुछ ख़ून,
और तब अचानक आसमान नीचा हो गया,
एक छलाँग भर दूर,
मेरे पंख बने तुम....