Last modified on 27 अगस्त 2019, at 03:53

शोक सभा / दिनेश्वर प्रसाद

अनिल जनविजय (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 03:53, 27 अगस्त 2019 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=दिनेश्वर प्रसाद |अनुवादक= |संग्रह...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)

आपके जीने से क्या हुआ ?
आपके मरने पर एक दिन छुट्टी हुई ।
हम मनाते हैं — हर रोज़ आप मरें ।
हम हर रोज़ शोकसभा करेंगे
और प्रस्ताव पारित कर कहेंगे —
‘मित्रो, दिवँगत पुरुष कितने महान्  थे !
कितने सुशील सच्चरित्र थे !
ईश्वर उनकी आत्मा को शान्ति दे ।’
एक  मिनट मौन रहकर हंसते हुए
घर वापस जाएँगे
और आपके बोझ से अपने को हल्का पाएँगे ।