जब तुम इथाका के लिए प्रस्थान कर रहे हो
मान कर चलो कि तुम्हारा रास्ता लम्बा है
जोख़िम भरा और खोजपूर्ण ।
लीस्त्रायगनीज़, साइक्लोप्स,
क्रुद्ध पोसायदन — उनसे भयभीत होने की आवश्यकता नहीं ।
जब तक तुम अपने विचारों को ऊँचे उठाए रखोगे,
जब तक एक दुर्लभ कि़स्म की उत्तेजना
तुम्हारे मन और शरीर को आलोड़ित करती रहेगी
रास्ते में वैसी आपदाओं से क़त्तई तुम्हारा सामना नहीं होने वाला ।
लीस्त्रागनीज़, साइक्लोप्स, तूफ़ानी पोसायदन —
इनसे तुम्हें भिड़ना नहीं पड़ेगा
जब तक कि तुम उन्हें अपने मन में जगह नहीं देते
जब तक कि तुम्हारा मन उन्हें तुम्हारे सामने लाकर खड़ा नहीं कर देता है
मान कर चलो कि तुम्हारा रास्ता लम्बा है ।
यात्रा के दौरान संभवतः ऐसी अनेक ग्रीष्मकालीन सुबहें आएँगी
जब कितनी ख़ुशी, कितने आनन्द के साथ
उन द्वीपों में तुम प्रवेश करोगे जिन्हें पहली बार देख रहे हो,
सम्भव है फ़ीनिशियाई व्यापारिक केन्द्रों पर तुम रुको
ख़रीदने के लिए बहुमूल्य वस्तुएँ :
मोती और मूँगा, अम्बर और आबनूस की लकड़ी,
तरह-तरह की उत्तेजक सुगन्धियाँ —
जितनी भी तुम ख़रीद सको !
और सम्भव है तुम मिस्र के नगरों में जाओ
वहाँ के विद्वानों से ज्ञान प्राप्त करने, और आगे भी
प्राप्त करते रहने के लिए ।
इथाका को हरदम दिमाग़ में रखो !
वहाँ पहुँचना ही तुम्हारा लक्ष्य है ।
किन्तु यात्रा के जल्दी सम्पन्न होने की बात
क़त्तई मन में न लाना,
बेहतर हो कि वह वर्षों में सम्पन्न हो,
ताकि उस द्वीप पर पहुँचने तक तुम बूढ़े हो चुको ।
मार्ग में जो-जो कुछ तुमने प्राप्त किया
उसी से अपने को समृद्ध मानो,
यह उम्मीद मत बाँधो कि इथाका तुम्हें समृद्धि देगा ।
इथाका ने तुम्हें एक अद्भुत यात्रा का अवसर दिया ।
उसके बिना इस यात्रा पर तुम क्यों निकलते भला !
तुम्हें देने को अब कुछ नहीं बचा उसके पास ।
और यदि तुम इथाका को विपन्न पाते हो
तो उसने तुम्हें मूर्ख नहीं बनाया ।
इतने बुद्धिमान तुम हो चुके होंगे,
इतने अनुभव-सम्पन्न
कि समझ सकोगे तब तक
क्या है इन इथाकाओं का अर्थ ।
[1911]
इथाका : यूनानी पुराकथाओं में वर्णित एक समृद्ध द्वीप। वहाँ के शासक ओदीसियस [रोमन पौराणिकी के अनुसार यूलिशिस] ने त्रोय के युद्ध में ससैन्य भागीदारी की थी और यूनान को विजय दिलाई थी। युद्ध दस वर्ष तक चला। स्वदेश वापसी में ओदीसियस को दस वर्ष का समय मार्ग में लगा। वापसी यात्रा में उसे लीस्त्रायगनीज़, साइक्लोप्स आदि नरभक्षी दैत्यों से जूझना पड़ा और समुद्र के देवता पोसायदन का कोप झेलना पड़ा। इस सब में उसके सारे सैनिक, योद्धा मर-खप गए, पोत नष्ट हो गए और ओदीसियस का सारा ऐश्वर्य मिट्टी में मिल गया। बीस वर्ष बाद जब वह इथाका लौटा, तो उसका वेश भिक्षुओं जैसा था। दाढ़ी-मूँछ-बाल बेतहाशा बढ़े हुए, शरीर पर चीथड़े और उम्र से बुढ़ापा ।
अँग्रेज़ी से अनुवाद : सुरेश सलिल