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एकता / महेन्द्र भटनागर

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कर्बला प्रयाग है,
प्रयाग कर्बला !
क़ुरान वेद की नसीहतों से
व्यक्ति का करो भला !
टले अशुभ घड़ी
व मृत्यु भय बला !

कि जाति-द्वेष छोड़कर उठो,
कि धर्म-द्वेष छोड़कर उठो,
वतन की एकता के वास्ते,
वतन की नव-स्वतंत्रता के वास्ते !

महान हिंद की महानता बनी रहे !
उदार हिन्द की उदारता बनी रहे !


सभी दिलों की चाह जो
वही सतत किये चलो !
महान ध्येय के निमित्त तुम
जलो, जलो, जलो !