एक है सबका ख़ुदा, जिसने बनाये जीव सारे !
ख़ून की नदियाँ बहाकर
देश की रक्षा न होगी,
धर्म का ले नाम यों पथ-
भ्रष्ट मानवता न होगी,
सभ्यता का हार जिसमें
उच्च भावों को पिरोये
हैं युगों से क़ीमती मोती
अनेकों प्राण खोये।
एक होकर ही रहेंगे, हिन्द तेरे जन-सितारे !
भूत सिर पर छा गया
हैवानियत का क्रूर निर्दय,
शक्ति का आह्नान कर
जागो, मनुजता की कहो जय !
छोड़ संयम हो गये सब
क्रोध से हिंसक व निर्मम
और भाई का गला भाई
गिराता है, यही ग़म,
याद करलो, उस ख़ुदा को हैं सभी जन-प्राण प्यारे !