Last modified on 20 अगस्त 2008, at 22:43

आज तो / महेन्द्र भटनागर

Pratishtha (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 22:43, 20 अगस्त 2008 का अवतरण (New page: ::{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=महेन्द्र भटनागर |संग्रह= बदलता युग / महेन्द्र भटनागर }}...)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)


आज तो चली अजब हवा
दब गया दमन का दबदबा,
भय विहीन,
है ज़मीन !
मात चाँद की अरे कला ;
शक्ति गीत गा रहा गला,
हर मलीन
है नवीन !

रूप है समाज का अजब,
हर मनुष्य है स्वतंत्रा अब,
ना अधीन
है न दीन !