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भूल मत जाना / प्रेमलता त्रिपाठी

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लगायी प्रीति तुम्हीं से है कहीं तुम भूल मत जाना।
जले नित प्रेम का दीपक जलाना भूल मत जाना।

नहीं आँसू बहाये हम मिलंे खुशियाँ सदा हर पल,
नहीं खोना खुशी के पल मनाना भूल मत जाना।

अँधेरा दूर करना है उजाले पास लाना है,
घिरे मन के अँधेरे को हटाना भूल मत जाना।

शिखर छू लें कदम अपने करो तुम कर्म बन साधक,
भरोसा खुद बढ़े अपना जगाना भूल मत जाना।

सदी से हो रहा संग्राम धर्मों सदविचारों में,
सदा तुम सत्य की राहें दिखाना भूल मत जाना।

बहे जो धार जीवन की कभी विपरीत धारा में,
सहज मन धैर्य से अपना लगाना भूल मत जाना।

न रोकें आँधियाँ हमको नहीं भय त्रासदी से हो,
दिया तुम प्रेम साहस का सजाना भूल मत जाना।