Last modified on 30 अक्टूबर 2019, at 22:50

धर्म आधार / प्रेमलता त्रिपाठी

सशुल्क योगदानकर्ता ५ (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 22:50, 30 अक्टूबर 2019 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=प्रेमलता त्रिपाठी |अनुवादक= |संग्...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)

जहाँ कामना धर्म आधार होगी।
वहाँ जीत निश्चित नहीं हार होगी।

न होगी अधूरी कहानी हमारी,
कि एैसी कलम में सर्जन धार होगी।

महकती धरा की नयी हर सुबह हैे,
मुझे हर कठिन राह स्वीकार होगी।

सभी मार्ग अवरुद्ध करती निराशा,
सबल मन सफलता सदा द्वार होगी।

विकलता हृदय की बढ़े ज्ञान के पथ,
कुशलता सतत भावना सार होगी।

नवल कल्पना हों दिशाएँ प्रकाशित,
शिखर चूम लें आस साकार होगी।

सुगम साधना पथ बढ़े चल पथिक मन
डगर हर कठिन प्रेम बौछार होगी।