Last modified on 31 अक्टूबर 2019, at 20:41

आदमी / आशुतोष सिंह 'साक्षी'

सशुल्क योगदानकर्ता ५ (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 20:41, 31 अक्टूबर 2019 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=आशुतोष सिंह 'साक्षी' |अनुवादक= |संग...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)

दूर दूर तक नहीं आदमी।
बन गये श्मशान आदमी॥

दूब उगाने की कोशिश में।
बन चुका पाषाण आदमी॥

भौतिकता की चकाचौंध में।
भूला अपनी पहचान आदमी॥

हथियारों के पहाड़ पर बैठा।
ओढ़ रहा है कफ़न आदमी॥

सांपों का विष मुँह में लिए।
बनता मेहरबान आदमी॥

लालच ख़ातिर देखो 'साक्षी'।
बेच रहा ईमान आदमी॥
दूर दूर तक नहीं आदमी।
बन गये श्मशान आदमी॥