Last modified on 1 नवम्बर 2019, at 19:46

वंदना / बीना रानी गुप्ता

सशुल्क योगदानकर्ता ५ (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 19:46, 1 नवम्बर 2019 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=बीना रानी गुप्ता |अनुवादक= |संग्र...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)

हे! शारदे माँ, हे! शारदे माँ
हंस वाहिनी वीणापाणि,
हे! वागेश्वरी आशीष दे माँ
लेखनी मेरी सँवार दे माँ।

उर में बहे प्रेम की गंगा
द्वेष घृणा का भाव न हो,
जग में फहरे मेरा तिरंगा
खुशहाली का अभाव न हो।

रचूँ नवगीत नव छंद
कंठ में भर दो लय स्वर,
हरूँ हर मन का विषाद
शिवमय हो अक्षर-अक्षर।

जलाऊँ सत्य की ज्योति
करूँ सुपथ का संधान,
ज्ञान, कला, संगीत की निधि
माँ भारती दे दो वरदान।

हे! शारदे माँ हे! शारदे माँ
हंसवाहिनी वीणापाणि,
हे! वागीश्वरी आशीष दे माँ
लेखनी मेरी सँवार दे माँ।